कविता |
तीन विरंगुळ्या |
विदेश |
कविता |
पाश |
चातक |
कविता |
चालू नको अशी तू |
पाषाणभेद |
कविता |
दत्त दत्त बोलत गेलो |
पाषाणभेद |
कविता |
(प्रेमी)युगुलगीत: तुझी माझी प्रित जमली |
पाषाणभेद |
कविता |
युगलगीत: बासूंदी गोड गोड |
पाषाणभेद |
कविता |
तोच थंडगार भात |
विदेश |
कविता |
कळीकाळानं असला कसला मौका साधला |
पाषाणभेद |
कविता |
म्हाळसादेवी म्हाळसाकोर्याची |
पाषाणभेद |
कविता |
गझल |
मनीषा |
कविता |
नको रे दिवा |
पाषाणभेद |
कविता |
लष्करी हुकूम अर्थात आर्मी कमांड्स |
पाषाणभेद |
कविता |
कोंबडी म्हणाली कोंबड्याला (चार चारोळ्या) |
विदेश |
कविता |
सर आले दुरुनी (विडंबन) |
विदेश |
कविता |
पांडूरंग माझा गरीब राहू द्या |
पाषाणभेद |
कविता |
विश्वासघात करतो माणूस ना मुळी तो ! |
विदेश |
कविता |
काय करावे या किड्याला ? |
अतृप्त आत्मा |
कविता |
बाई माझी, ही तंगडी मोडली |
विदेश |
कविता |
युगलगीत: ओठ गुलाबी काय नकळत बोलले |
पाषाणभेद |
कविता |
तो एक लाज-पुत्र |
अतृप्त आत्मा |
कविता |
जीवन |
विदेश |
कविता |
थंडी माघाची |
पाषाणभेद |
कविता |
" शोध तिचा लागेना ...! " |
विदेश |
कविता |
नको रे कान्हा |
पाषाणभेद |
कविता |
काय सैपाक काय करू मी बाई |
पाषाणभेद |