विशेषांक |
“कामगारांचं हित कामगार चळवळीने पाहिलं नाही.” - राजीव सानेंची मुलाखत |
अग्रलेख: जगातील कामगारांनो! |
ऋषिकेश |
शुक्रवार, 17/10/2014 - 10:51 |
विशेषांक |
“कामगारांचं हित कामगार चळवळीने पाहिलं नाही.” - राजीव सानेंची मुलाखत |
आहे ती पद्धत मान्य असली तरीही |
गब्बर सिंग |
शनिवार, 18/10/2014 - 11:34 |
विशेषांक |
“कामगारांचं हित कामगार चळवळीने पाहिलं नाही.” - राजीव सानेंची मुलाखत |
कायमस्वरूपी काम म्हणजेच |
गब्बर सिंग |
शनिवार, 18/10/2014 - 11:55 |
विशेषांक |
“कामगारांचं हित कामगार चळवळीने पाहिलं नाही.” - राजीव सानेंची मुलाखत |
अत्यंत उत्कृष्ट मुलाखत. |
गवि |
सोमवार, 20/10/2014 - 11:47 |
ललित |
“कुणीच नाही.” |
मी (फक्त)माझा. |
बॉमकेस बॅक्षी |
शनिवार, 18/04/2015 - 15:55 |
ललित |
“कुणीच नाही.” |
रोचक आहे आणि वाचायला चांगलं |
नगरीनिरंजन |
शनिवार, 18/04/2015 - 16:45 |
ललित |
“कुणीच नाही.” |
पण |
तिरशिंगराव |
शनिवार, 18/04/2015 - 17:49 |
ललित |
“कुणीच नाही.” |
मला तर कधी कधी प्रश्न पडतो, |
शुचि. |
सोमवार, 20/04/2015 - 23:30 |
ललित |
“द नंबर यू हॅव डायल्ड डझ नॉट एक्सिस्ट.” |
सुरुवात मला आवडली, पण पुढे |
३_१४ विक्षिप्त अदिती |
मंगळवार, 19/04/2022 - 21:07 |
विशेषांक |
“दु:खाचा पाऊस जेव्हा घनघोर बरसला होता" |
उत्कृष्ट लेख आणि अत्यंत |
राजेश घासकडवी |
गुरुवार, 15/11/2012 - 04:52 |
विशेषांक |
“दु:खाचा पाऊस जेव्हा घनघोर बरसला होता" |
लेख एकूणात आवडला |
ऋषिकेश |
गुरुवार, 15/11/2012 - 09:19 |
विशेषांक |
“दु:खाचा पाऊस जेव्हा घनघोर बरसला होता" |
घासकडवींशी सहमत. अत्यंत |
मेघना भुस्कुटे |
शुक्रवार, 16/11/2012 - 15:05 |
विशेषांक |
“दु:खाचा पाऊस जेव्हा घनघोर बरसला होता" |
दु:खाची इतकी गंभीर मीमांसा |
आतिवास |
शुक्रवार, 16/11/2012 - 21:57 |
विशेषांक |
“दु:खाचा पाऊस जेव्हा घनघोर बरसला होता" |
अनुवाद आवडला. विषय गंभीर आहे, |
ऋता |
शनिवार, 17/11/2012 - 13:26 |
विशेषांक |
“दु:खाचा पाऊस जेव्हा घनघोर बरसला होता" |
उत्तम अनुवाद. मृत्यूसारख्या |
मस्त कलंदर |
शुक्रवार, 23/11/2012 - 21:06 |
विशेषांक |
“दु:खाचा पाऊस जेव्हा घनघोर बरसला होता" |
दुःखाचा पाऊस घनघोर बरसला होता |
शुभांगी कुलकर्णी |
रविवार, 17/03/2019 - 17:22 |
विशेषांक |
“दु:खाचा पाऊस जेव्हा घनघोर बरसला होता" |
घन तमी शुक्र बघ राज्य करी |
..शुचि |
रविवार, 17/03/2019 - 22:23 |
ललित |
….ब्रह्मराक्षस |
छान लिहीलय. |
अस्मिता |
शुक्रवार, 10/05/2013 - 12:34 |
ललित |
….ब्रह्मराक्षस |
भीतीचं वर्णन आवडलं. शेवटचा |
३_१४ विक्षिप्त अदिती |
शुक्रवार, 10/05/2013 - 12:48 |
ललित |
….ब्रह्मराक्षस |
पर्फेक्ट.... |
मन |
शुक्रवार, 10/05/2013 - 15:26 |
ललित |
….ब्रह्मराक्षस |
चांगलं लिहिलंय
आपलंच वागणं |
ऋषिकेश |
शुक्रवार, 10/05/2013 - 16:12 |
ललित |
….ब्रह्मराक्षस |
कौतुक |
अमुक |
शुक्रवार, 10/05/2013 - 19:34 |
ललित |
….ब्रह्मराक्षस |
छान |
अतिशहाणा |
शुक्रवार, 10/05/2013 - 22:20 |
ललित |
….ब्रह्मराक्षस |
इतरांचे अनुभव , त्या |
उसंत सखू |
शनिवार, 11/05/2013 - 08:50 |
ललित |
….ब्रह्मराक्षस |
भीतीच्या आधीन होऊन सदसद विवेक |
सारीका |
सोमवार, 13/05/2013 - 18:16 |